
आज महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में, JNU की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहा, अब भी ‘वामपंथी’ विचारधारा मौजूद है, आप लोग जानते होंगे कि तीस्ता सीतलवाड़ को “जमानत” देने के लिए, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार रात को कोर्ट खोल दिया था, क्या ऐसी ही “व्यवस्था” हम लोगों के लिए भी होगी!? राजनीतिक सत्ता में बने रहने के लिए आपके पास नैरेटिव पावर का होना बहुत जरुरत है, और हमें इसकी बहुत जरूरत भी है, जब तक हम सभी के पास ‘नैरेटिव पावर’ नहीं होगी, तब तक हम एक दिशाहीन जहाज की तरह हैं! मैं बचपन में ‘बाल सेविका’ थी। मुझे संस्कार RSS से ही मिले हैं। मुझे यह कहने में गर्व है कि मैं RSS से हूँ। मुझे यह कहने में भी गर्व है कि मैं हिन्दू हूँ। यह कहने में, मैं बिल्कुल भी संकोच नहीं करती। इसके बाद उन्होंने ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते हुए कहा, गर्व से कहती हूँ कि मैं हिन्दू हूँ।
आप लोगों को बता दूं कि, शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित JNU की कुलपति बनने के बाद जब उन्होंने विश्वविद्यालय के परिसर में राष्ट्रीय ध्वज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाने का फैसला किया तो वामपंथी छात्रों ने, इसका भारी विरोध किया था। वामपंथी छात्रों की विरोध पर उन्होंने कहा था, आप टैक्स देने वालों के पैसे से JNU में फ्री का खाना खा रहे हैं, इसलिए आप लोगों को राष्ट्रीय ध्वज के सामने झुकना पडेगा और मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनका किसी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। अब एक साल से भी अधिक का समय बीत चुका है। कोई भी विरोध नहीं करता है…